Monday 6 July 2020

द स्टारी नाईट और सुशांत सिंह राजपूत


14 जून को जब सुशांत सिंह राजपूत हमारे बीच से अचानक नाराज या क्षुब्ध हो कर चले गए। हम सब उस दुनिया का एक हिस्सा है जिससे उनका मन ऊब गया था।

चैनलों की बकवास से से हार कर मैंने उनका ट्यूटर अकाउंट खोला........शायद कुछ कहा हो।
उनकी वाल पर वेन गाग की पेंटिंग द स्टारी नाईट टंगी थी।

1889 की इसी जून के महीने में विन्सेट वेन गाग ने यह पेंटिंग सेंट रिमे के ऐन्सलम में अपने बेकाबू हो रहे डिप्रेशन के इलाज के दौरान बनायी थी।

थोड़े समय पहले ही डिप्रेशन और रचानात्मक के किसी भंवर में उलझे गाग ने चाकू से अपने कान को काट लिया था।

आप पेंटिंग में नीले विशाल आसमान के नीचे मनुष्यों द्वारा निर्मित क्षुद्र भवनों को काली रेखाओं से दिखाया है। ऐसा लगता है किसी सपने को चित्रित किया है। इस पेंटिंग में 11 तारे हैं जिसे वैसा कुछ जिनेशिश 37:9 में भी उद्दत है जहां सेंन्ट जोसेफ एक सपने में एक ओर सपना देख रहे होते है।

सुशांत के बगैर कुछ कहे सफलता के शिखर से यूं चले जाने जैसे मौन विन्सेट गाग ने भी इस पेंटिंग के बारे में रखा, कभी किसी पत्थर में इसके बारे में कुछ नहीं कहा।

पेंटिंग में साईप्रस पेड़ की सुखी टहनियों पर तेज घुमाव और ब्रुश के सघन स्ट्रोक सीधे खड़े भवन प्रकृति की रिदम को जैसे तोड़ रहे होते हैं।

पहले लोगों ने सोचा शायद गाग के कमरे खिड़की से ऐसा कुछ दृश्य दिखता होगा। पर उनके कमरे में न पूरब दिशा में खिड़की थी न ऐसा कोई दृश्य। यह सब रचनात्मक के शिखर पर उभरी कोई उनकी कल्पना रही होगी। जो उनके स्तर का कलाकार ही वहां से मूर्त रुप दे सकता था। कभी न्यूयॉर्क जाएं तो मूल कृति को म्यूजियम आफ मार्डन आर्ट में जरूर देखें।

मैं रचनात्मक और अवसाद के उस एक क्षण में अपने अभिनेता के पास होना चाहता था। इसको महसूस करने के लिए आप को उस तरह तक पहुंचना होगा। अगर वह क्षण निकल जाता या सुशांत किसी और किरदार कनेक्ट हो चुके होते तो संभव है उनकी रचनात्मकता को कोई रास्ता मिल पाता..... शायद।

37 साल की उम्र में सीने में गोली मारी कर वेन गाग ने सुसाइड या यूं कहें कि इस दुनिया से क्षुब्ध हो कर सुशांत की ही भांति जिसे हम सफलता कहते हैं उसे छोड़ कर चले गए थे।

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