Monday 3 September 2018

बाल दिवस का सलीब


मुझे माफ़ करना चाचा नेहरू बाल दिवस पर तुम्हारे नाम पर छपे करोड़ों रूपए के विज्ञापनों के बावजूद मुझे अपने बचपन वह ग़रीब शिक्षक याद आता है जो तमाम सरकारी आँकड़े जुटाने के बावजूद इतना तो पढ़ा ही देता था की हम लोग अगली कक्षा हेतु पास तो हो ही जाते थे ।
गुजरात के छोटे से गाँव के शिक्षक गिजुभाई बधेका ने बाल मन को समझने और माक़ूल शिक्षा दर्शन की खोज में अपना जीवन लगा दिया । रवीन्द्रनाथ ने बच्चों की बेहतर विकास हेतु शांति निकेतन में कई प्रयोग किऐ । बाल दिवस पर आपके ज़ेहन में ऐसे कितने ही नाम याद आ रहे होगें ।
मुझे नहीं पता की यह कितना उचित है पण्डित नेहरू के जन्म दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर बाल दिवस घोषित करना ?
किसी राजनेता को अमर करने का सलीब कब तक हमारे बच्चे ठोएगे ?

द स्टारी नाईट और सुशांत सिंह राजपूत 14 जून को जब सुशांत सिंह राजपूत हमारे बीच से अचानक नाराज या क्षुब्ध हो कर चले गए। हम सब उस दुनिया ...